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वृक्ष लगाओ धरा बचाओ




वृक्ष लगाओ धरा बचाओ:
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वृक्ष हैं धरती के आभूषण,धरती से पोषण पाते हैं,
हरे-भरे सुन्दर दिखते हैं,पुष्प रंग -बिरंगे आते हैं।

महक उठा करती है भारी,फूलों से क्यारी सजती है,
फूल सजा कर के बालों मे राजकुमारी सुन्दर दिखती हैं।

देव-मूर्ति पर फूल चढ़ाते , उनके गले का हार बनाते हैं,
लोग हज़ारों रोजी पाते मन्दिर में दुकान सजाते हैं।

दिन भर पेड़ वायु पीते हैं बदले मे ओषजन देते हैं,
सड़े गले पत्ते भी तरु का अतिप्रिय भोजन बनते हैं।

तरुवर के पत्तों से पानी बन कर वाष्प उड़ जाता है,
वर्षा ऋतु मे ये ही पानी धरती की प्यास बुझाता है।

बसन्त ऋतु मे अवनि की आराइश देखते बनती है,
आते-जाते पथिक की आवर्जन देखते बनती है।

कवियों को भी ये आराइश लिखने को अनुप्राणित करती है,
कल्पना को भी कवियों को आयाम विस्तृत देती है।

पेड़ों से जग लकड़ी पाता इमारती काम मे आती है,
मेज,कुर्सी और कृतियां बनती जनता भी रोजी पाती है।

चन्दन,रबड़ और मसाले सब पौधों से मिलते हैं,
अनेक स्वादिष्ट फल और मेवा भी पेड़ों से पाते हैं।

सुन्दरता ही नहीं धरा के रक्षक भी हैं ये तरुवर,
तापक्रम और पर्यावरण का नियमन करते हैं तरुवर।

आनन्द कुमार मित्तल, अलीगढ़



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5 Comments

बहुत ही सुंदर सृजन

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Shnaya

12-Dec-2023 10:50 PM

Nice one

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Reyaan

12-Dec-2023 07:40 PM

Nice

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